अकबर और बीरबल की कहानियां तो आपने बहुत सुनी होगी। लेकिन आज में आपको जो १० अकबर और बीरबल की कहानियां बताने वाला हु। वो आपने मार्केट में कभी नहीं सुनी होगी।
अकबर एक राजा था और बीरबल उनका स्लाहकार था लेकिन जो दज्ञान बीरबल में था उतना ज्ञान किसी के पास नहीं था इसलिए अकबर हमेशा कुछ फैसला लेने से पहले बीरबल से जरूर पूछते थे। आज हम ऊनी अकबर और बीरबल की कहानियां आपके पास लेकर आए है। Dharmeshk.blog
Table of Contents
बीरबल ने चोर को पकड़ा: अकबर बीरबल की कहानियां
एक बार राजा अकबर के प्रदेश में चोरी हई। इस चोरी में एक चोर नें एक व्यापारी के घर से बहुत ही कीमती सामान चुरा लिया था। उस व्यापारी को इस बात पर तो पूरा विश्वास था कि चोर उसी के 10 नौकरोंमें से कोई एक था पर वह यह नहीं जानता था की वह कौन है।
यह जानने के लिए की चोर कौन है ! वह व्यापारी बीरबल के पास गया और उसने बीरबल से मदद मांगी। बीरबल नें भी इस बात पर हाँ कर दिया और अपने सिपाहियों से कहा कि सभी 10 नौकरों को जेल में डाल दिया जाये।
यह सुनते ही उसी दिन सिपाहियों द्वारा सभी नौकरों को पकड़ लिया गया। बीरबल नें सबसे पुछा कि चोरी किसने किया है परन्तु किसी नें भी यह मानने को इंकार कर दिया की चोरी उसने किया है।
बीरबल नें थोड़ी देर सोचा, और कुछ देर बाद वह दस समान लम्बाई की छड़ी ले कर आये और सभी चुने हुए लोगों को एक-एक छड़ी पकड़ा दिया। पर छड़ी पकडाते हुए बीरबल नें एक बात कहा ! उस इंसान की छड़ी 2 इंच बड़ी हो जाएगी जिस व्यक्ति नें यह चोरी की है। यह कह कर बीरबल चले गए और अपने सिपाहियों को निर्देश दिया की सुबह तक उनमें से किसी भी व्यक्ति को छोड़ा ना जाये।
जब बीरबल नें सुबह सभी नौकरों की छड़ी को ध्यान से देखा तो पता चला उनमें से एक नौकर की छड़ी 2 इंच छोटी थी। यह देकते ही बीरबल ने कहा ! यही है चोर।
बाद में यह देख-कर उस व्यापारी नें बीरबल से प्रश्न किया कि कैसे उन्हें पता चला की चोर वही है। बीरबल नें कहा कि चोर नें अपने छड़ी के 2 इंच बड़े हो जाने के डर से रात के समय ही अपने छड़ी को 2 इंच छोटा कर दिया था।
शिक्षा /Moral:- सत्य कभी नहीं छुपता इसलिए जीवन में कभी भी झूट मत बोलो।
दरबारियों के 3 सवाल: अकबर बीरबल की कहानियां
बीरबल, राजा अकबर के बहुत प्रिय थे। वह अपने बहुत सारे निर्णय बीरबल की चालाकी और बुद्धिमानी के बल पर सभा में लेते थे। यह देख कर कुछ दरबारीयों के मन में बीरबल के प्रति घृणा जागृत हो गयी। उन दरबारियों नें मिल कर बीरबल को बादशाह अकबर के सामने निचा दिखने के लिए एक योजना बनाया।
एक दिन भरी सभा में उन दरबारियों नें अकबर के समक्ष कहा कि अगर बीरबल हमारे 3 प्रश्नों का उत्तर दे देंगे तो हम मान जायेंगे की बीरबल से बुद्धिमान कोई नहीं। बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए बादशाह अकबर हमेशा तईयार खड़े रहते थे। यह बात सुनते ही राजा अकबर नें हाँ कर दिया।
3 प्रश्न कुछ इस प्रकार के थे –
प्रश्न 1: असमान में कितने तारे हैं?
प्रश्न 2: इस धरती का कंद्र कहाँ है?
प्रश्न 3: इस पृथ्वी में कितने पुरुष और महिला हैं?
यह सुनते ही अकबर ने तुरंत बीरबल से कहा! अगर तुम इन प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाओगे तो तुम्हे अपने मुख्यमंत्री के पद को त्यागना पड़ेगा।
पहले प्रश्न के उत्तर के लिए- बीरबल एक घने बालों वाले भेड़ को पकड लाये और कहने लगे की जितने बाल इस भेड़ के शारीर में हैं उतने ही तारे असमान में हैं। अगर मेरे दरबारी मित्र इस भेड़ के सभी बाल गिनना चाहें तो गिन सकते हैं।
दुसरे प्रश्न के उत्तर के लिए- बीरबल जमीन पर कुछ रेखाएं खीचने लगे और कुछ देर बाद उन्होंने एक लोहे की छड़ी को गाड़ दिया और कहा यह है धरती का केंद्र बिंदु। अगर मेरे दरबारी दोस्त मापना चाहते हैं तो स्वयं माप सकते हैं।
तीसरे सवाल के उत्तर में बीरबल बोले- वैसे तो यह बताना बहुत ही मुश्किल है कि इस दुनिया में पुरुष कितने हैं और महिलाएं कितनी हैं क्योंकि इस दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनको उस गणना में नहीं जोड़ा जा सकता जैसे की हमारे यह दरबारी मित्र। अगर इस प्रकार के लोगों को हम मार डालें तो हमें गणना करने में भी आसानी होगी।
यह सुनते ही सभी दरबारियों नें सर निचे कर लिया और कहा ! बीरबल, तुमसे चालक और बुद्धिमान कोई नहीं
शिक्षा/Moral:- सफलता प्राप्त करना का कोई न कोई रास्ता जरूर होता है बस अपनी बातों पर दृढ़ संकल्प रखना जरूरी है।
ताकतवर पत्नी और लाचार पति के मजेदार चुटकुले
अंगूठी चोर और बीरबल: अकबर बीरबल की कहानियां
एक दिन भरे दरबार में राजा अकबर नें अपनी अंगूठी खो दिया। जैसे ही राजा को यह बात पता चली उन्होंने सिपाहियों से ढूँढने को कहा पर वह नहीं मिली।
राजा अकबर नें बीरबल को दुखी मन से बताया कि वह अंगूठी उनके पिता की अमानत थी जिससे वह बहुत ही प्यार करते थे। बीरबल नें जवाब में कहा! आप चिंता ना करें महाराज, मैं अंगूठी ढून्ढ लूँगा।
बीरबल नें दरबार में बैठे लोगों की तरफ देखा और राजा अकबर से कहा! महाराज चोरी इन्हीं दर्बर्यों में से ही किसी ने की है। जिसके दाढ़ी में तिनका फसा है उसी के पास आपकी अंगूठी है।
जिस दरबारी के पास महाराज की अंगूठी थी वह चौंक गया और अचानक से घबराहट के मारे अपनी दाढ़ी को ध्यान से देखने लगा। बीरबल नें उसकी हरकत को देख लिया और उसी वक्त सैनिकों को आदेश दिया और कहा! इस आदमी की जांच करी जाए।
बीरबल सही था अंगूठी उसी के पास थी। उस दरबारी को पकड़ लिया गया और कारागार में कैद कर लिया गया। अंगूठी वापिस मिलने पर राजा अकबर बहुत खुश हुए।
शिक्षा/Moral:-अगर किसी व्यक्ति ने चोरी की हुई है तभी वोएक दोषी व्यक्ति ही हमेशा डरता रहेगा|
राज्य के कौवों की गिनती: अकबर बीरबल की कहानियां
एक दिन राजा अकबर और बीरबल राज महल के बगीचे में टहल/घूम रहे थे। बहुत ही सुन्दर सुबह थी, बहुत सारे कौवे तालाब के आस पास उड़ रहे थे। कौवों को देखते ही बादशाह अकबर के मन में एक प्रश्न उत्पन्न हुआ। उनके मन में यह प्रश्न उत्पन्न हुआ कि उनके राज्य में कुल कितने कौवे होंगे?
बीरबल तो उनके साथ ही बगीचे में टहल रह थे तो राजा अकबर नें बीरबल से ही यह प्रश्न कर डाला और पुछा ! बीरबल, आखिर हमारे राज्य में कितने कौवे हैं? यह सुनते ही चालक बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया – महाराज, पुरे 95,463 कौवे हैं हमारे राज्य में।
महाराज अकबर इतने तेजी से दिए हुए उत्तर को सुन कर हक्का-बक्का रह गए और उन्होंने बीरबल की परीक्षा लेने का सोचा। महाराज नें बीरबल से दोबारा प्रश्न किया ! अगर तुम्हारे गणना किये गए अनुसार कौवे ज्यादा हुए?
बिना किसी संकोच के बीरबल बोले हो सकता है किसी पड़ोसी राज्य के कौवे घूमने आये हों। और कम हुए तो! बीरबल नें उत्तर दिया, ” हो सकता है हमारे राज्य के कुछ कौवे अपने किसी अन्य राज्यों के रिश्तेदारों के यहाँ घूमने गए हों।
शिक्षा/Moral:-जीवन में शांत मन से विचारों को सुनने और सोचने से, जीवन के हर प्रश्न का उत्तर निकल सकता है।
बीरबल की खिचड़ी: अकबर बीरबल की कहानियां
यह एक ठण्ड के मौसम की सुबह थी। राजा अकबर और बीरबल सैर कर रहे थे। उसी वक्त बीरबल के मन में एक विचार आया और वो राजा अकबर के सामने बोल पड़े एक आदमी/मनुष्य पैसे के लिए कुछ भी कर सकता हैं। यह सुनते ही अकबर नें पास के झील के पानी में अपनी उँगलियों को डाला और झट से निकाल दिया, पानी बहुत ही ठंडा होने के कारण।
अकबर बोले क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो पैसे के लिए पूरी रात इस झील के ठन्डे पानी में खड़ा रह सके। बीरबल नें कहा, ” मुझे पूरा यकीं हैं मैं किसी ना किसी ऐसे व्यक्ति को जरूर ढून्ढ लूँगा। यह सुनते ही अकबर नें बीरबल से कहा, ” अगर तुम इस प्रकार के किसी मनुष्य को हमारे पास ले कर आओगे और वह यह कार्य करने में सफल हो गया तो हम उसे सौ स्वर्ण मुद्राएँ देंगे।
अगले ही दिन बीरबल खोज में लग गए और उन्हें ऐसा आदमी मिल गया जो बहुत ही गरीब था और सौ स्वर्ण मुद्राओं के लिए उस झील के पानी में पूरी रात खड़े रहने को राज़ी हो गया। वह आदमी झील के पानी में जा कर खड़े हो गया।
राजा अकबर के सैनिक भी उस गरीब मनुष्य को रात भर पहरा देने के लिए झील के पास खड़े थे। वह पूरी रात उस झील के पानी में गले तक खड़ा रहा। अगले दिन सुबह उस आदमी को दरबार में राजा अकबर के पास लाया गया। बादशाह अकबर नें उस व्यक्ति से पूछा, ” तुम पूरी रात कैसे इतने ठन्डे पानी में अपने सर तक डूब कर रह पाए।
उस गरीब व्यक्ति नें उत्तर में कहा, ” हे महाराज में पूरी रात आपके महल में जलते हुए एक दीप को रातभर देखता रहा, जिससे की मेरा ध्यान ठण्ड से दूर रहे। अकबर ने यह सुनते ही कहा, ” ऐसे व्यक्ति को कोई इनाम नहीं मिलेगा जिसने पूरी रात मेरे महल के दीप की गर्माहट से ठन्डे पानी में समय बिताया हो।
यह सुन कर वह गरीब आदमी बहुत दुखी हुआ और बीरबल से उसने मदद मांगी। अगले दिन बीरबल दरबार में नहीं गए। जब राजा परेशान हुए तो उन्होंने अपने सैनिकों को उनके घर भेजा। जब सैनिक बीरबल के घर से लौटे, तो उन्होंने राजा अकबर से कहा कि जब तक बीरबल की खिचड़ी नहीं पकेगी वह दरबार में नहीं आएंगे।
राजा कुछ घंटों के लिए रुके और उसी दिन शाम को वह स्वयं बीरबल के घर गए। जब वह वह पहुंचे तो उन्होंने देखा कि बीरबल कुछ लकड़ियों में आग लगा कर निचे बैठे थे, और कुछ 5 फीट ऊपर एक मिटटी के एक कटोरे में खिचड़ी पकाने के लिए लटका रखा था।
यह देखते ही राजा और उनके सैनिक हँस पड़े। अकबर बोल पड़े, “यह खिचड़ी कैसे पक सकती है जबकी चावल से भरा कटोरा तो आग से बहुत दूर है।
बीरबल नें उत्तर दिया, “अगर कोई आदमी इतनी दूर से एक दीपक की गर्मी से पूरी रात झील के ठंडे पानी में समयबिता सकता है तो यह किचड़ी क्यों नहीं पक सकती है।राजा अकबर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने उस गरीब आदमी को उसका इनाम(सौ स्वर्ण मुद्राएँ) प्रदान किया।
शिक्षा/Moral:- जीवन में दुसरे लोगों की मेहनत/परिश्रम के महत्व को समझना चाहिए और हर किसी व्यक्ति को सम्मान देना चाहिए।
आत्मविश्वास” सबसे बड़ा हथियार: अकबर बीरबल की कहानियां
बादशाह अकबर और बीरबल के बीच कभी-कभी ऐसी बातें भी हुआ करती थीं जिनकी परख करने में जान का खतरा रहता था।
एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा- ‘बीरबल, संसार में सबसे बड़ा हथियार कौन-सा है?’
बीरबल ने जवाब दिया बादशाह अकबर- संसार में सबसे बड़ा हथियार है आत्मविश्वास।’
बादशाह अकबर ने बीरबल की इस बात को सुनकर अपने दिल में रख लिया और किसी समय में इसको परखने का निश्चय किया।
दैवयोग से एक दिन एक हाथी पागल हो गया। ऐसे में हाथी को जंजीरों में जकड़ कर रखा जाता था।
बादशाह अकबर ने बीरबल के आत्मविश्वास की परख करने के लिए उधर तो बीरबल को बुलवा भेजा और इधर हाथी के महावत को हुक्म दिया कि जैसे ही बीरबल को आता देखे, वैसे ही हाथी की जंजीर खोल दे।
बीरबल को इस बात का पता नहीं था। जब वे बादशाह अकबर से मिलने उनके दरबार की ओर जा रहे थे, तो पागल हाथी को छोड़ा जा चुका था। बीरबल अपनी ही मस्ती में चले जा रहे थे कि उनकी नजर पागल हाथी पर पड़ी, जो चिंघाड़ता हुआ उनकी तरफ आ रहा था।
बीरबल बेहद बुद्धिमान, चतुर और आत्मविश्वासी थे। वे समझ गए कि बादशाह अकबर ने आत्मविश्वास और बुद्धि की परीक्षा के लिए ही पागल हाथी को छुड़वाया है।
दौड़ता हुआ हाथी सूंड को उठाए तेजी से बीरबल की ओर चला आ रहा था। बीरबल ऐसे स्थान पर खड़े थे कि वह इधर-उधर भागकर भी नहीं बच सकते थे। ठीक उसी वक्त बीरबल को एक कुत्ता दिखाई दिया। हाथी बहुत निकट आ गया था। इतना करीब कि वह बीरबल को अपनी सूंड में लपेट लेता।
तभी बीरबल ने झटपट कुत्ते की पिछली दोनों टांगें पकड़ीं और पूरी ताकत से घुमाकर हाथी पर फेंका। बुरी तरह घबराकर चीखता हुआ कुत्ता जब हाथी से जाकर टकराया तो उसकी भयानक चीखें सुनकर हाथी भी घबरा गया और पलटकर भागा।
बादशाह अकबर को बीरबल की इस बात की खबर मिल गई और उन्हें यह मानना पड़ा कि बीरबल ने जो कुछ कहा है, वह सच है। आत्मविश्वास ही सबसे बड़ा हथियार है।
तीन रूपये और तीन सवाल: अकबर बीरबल की कहानियां
एक दिन अकबर बादशाह के दरबारियों ने बादशाह से शिकायत की- ‘हुजूर! आप सब प्रकार के कार्य बीरबल को ही सौंप देते हैं, क्या हम कुछ भी नहीं कर सकते?’
बादशाह ने कहा- ‘ठीक है….मैं अभी इसका फैसला कर देता हूं।’
उन्होंने एक दरबारी को बुलाया और उससे कहा- ‘मैं तुम्हें तीन रूपये देता हूं। इनकी तीन चीजें लाओं। हर एक की कीमत एक रूपया होनी चाहिए।
पहली चीज यहां की होनी चाहिए।
दूसरी चीज वहां की होनी चाहिए।
तीसरी चीज न यहां की हो, न वहां की हो।’
दरबारी तुरन्त बाजार गया- दुकानदार के पास जाकर उसने उससे ये तीनों चीजें मांगी।
दुकानदार उसकी बात सुनकर हंसने लगा और बोला – ‘ये चीजें कहीं भी नहीं मिल सकतीं।’
उन तीन चीजों को दरबारी ने अनेक दुकानों पर खोजा। लेकिन जब उसे तीनों चीजें कहीं भी नहीं मिलीं तो निराश होकर दरबार में लौट आया।
उसने बादशाह अकबर को आकर बताया- “ये तीनों चीजें किसी भी कीमत पर, कहीं भी नहीं मिल सकतीं। अगर बीरबल ला सकें तो जानेंगे।’
अकबर बादशाह ने बीरबल को बुलाया और कहा कि जाओ ये तीनों चीजें लेकर आओ।
बीरबल ने कहा – ‘हुजूर! कल तक ये चीजें अवश्य आपकी सेवा में हाजिर कर दूंगा।’
अगले दिन जैसे ही बीरबल दरबार में आए तो…….
बादशाह अकबर ने पहले दिन वाली बात को याद दिलाते हुए बीरबल से पुछा- ‘क्यों, क्या हमारी चीजें ले आए?’
बीरबल ने फौरन कहा- ‘जी हां….मैंने पहला रूपया एक फकीर को दे दिया जो वहां से भगवान के पास जा पहुंचा। दूसरा रूपया मैंने मिठाई में खर्च किया जो यहां काम आ गया और तीसरे रूपये का मैंने जुआ खेल लिया जो कि न यहं काम आएगा, न वहां अर्थात परलोक में।’
उनकी बात सुनकर सभी चकित रह गए और अकबर ने बीरबल को बहुत सा ईनाम दिया।
गलत आदत का अहसास: अकबर बीरबल की कहानियां
एक दिन बादशाह अकबर बहुत परेशान थे, कारण था उनके बेटे की अंगूठा चूसने की आदत। बादशाह अकबर ने कई तरीके आजमाए लेकिन शहजादे की आदत पर कोई असर नहीं हुआ।
अकबर अपने दरबार में बैठे थे तब उन्हें एक फ़क़ीर के बारे में पता चला जिनकी बातें इतनी अच्छी होती हैं कि टेड़े से टेड़ा व्यक्ति भी सही दिशा में चलने लगता हैं।
अकबर ने उस फ़क़ीर को दरबार में पेश करने का हुक्म दिया। फ़क़ीर दरबार में आया उसे अकबर ने अपने बेटे की गलत आदत के बारे में बताया और कोई उपाय करने का आग्रह किया।
दरबार में सभी दरबारी और बीरबल के साथ अकबर और उनका बेटा भी था। फ़क़ीर ने थोड़ी देर सोचा और कहा कि मैं एक हफ़्ते बाद आऊंगा और वहां से चला गया। अकबर और सभी दरबारियों को यह बात अजीब लगी कि फ़क़ीर बिना शहजादे से मिले ही चले गए।
एक हफ़्ते के बाद, फ़क़ीर दरबार में आये और शहज़ादे से मिले और उन्होंने शहज़ादे को प्यार से मुहं में अंगूठा लेने से होने वाली तकलीफ़ों के बारे में समझाया और शहज़ादे ने भी कभी भी अंगूठा ना चूसने का वादा किया।
अकबर ने फ़क़ीर से कहा कि यह काम तो आप पिछले हफ़्ते ही कर सकते थे। सभी दरबारियों ने भी नाराज़गी व्यक्त की, कि इस फ़क़ीर ने हम सभी का वक्त बरबाद किया, और इसे सजा मिलनी चाहिए क्यूंकि इसने दरबार की तौहीन की है।
अकबर को भी यही सही लगा और उसने सजा सुनाने का तय किया। सभी दरबारियों ने अपना अपना सुझाव दिया।
अकबर ने बीरबल से कहा- बीरबल तुम चुप क्यूँ हो ? तुम भी बताओं की क्या सजा देनी चाहिए ?
बीरबल ने जवाब दिया- जहांपनाह! हम सभी को इस फ़क़ीर से सीख लेनी चाहिए और इन्हें एक गुरु का दर्जा देकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
अकबर ने गुस्से में कहा- बीरबल ! तुम हमारी और सभी दरबारियों की तौहिन कर रहें हो।
बीरबल ने कहा-जहांपनाह ! गुस्ताखी माफ़ हो। लेकिन यही उचित न्याय हैं। जिस दिन फ़क़ीर पहली बार दरबार में आये थे और आप जब शहजादे के बारे में उनसे कह रहे थे तब आप सभी ने फ़क़ीर को बार बार कुछ खाते देखा होगा। दरअसल फ़क़ीर को चूना खाने की गलत आदत थी।
जब आपने शहज़ादे के बारे में कहा तब उन्हें उनकी गलत आदत का अहसास हुआ और उन्होंने पहले खुद की गलत आदत को सुधारा। इस बार जब फ़क़ीर आये तब उन्होंने एक बार भी चूने की डिबिया को हाथ नहीं लगाया।
यह सुनकर सभी दरबारियों को अपनी गलती समझ आई और सभी से फ़क़ीर का आदर पूर्वक सम्मान किया।
शिक्षा/Moral:- हमें भी हमेशा दूसरों को ज्ञान देने से पहले खुद की कमियों को सुधारना चाहिए और सही उदाहरण पेश करना चाहिए, तभी हम दूसरों को ज्ञान देने के काबिल हो सकते हैं।
कवि और धनवान आदमी: अकबर बीरबल की कहानियां
एक दिन एक कवि किसी धनी आदमी से मिलने गया और उसे कई सुंदर कविताएं इस उम्मीद के साथ सुनाईं कि शायद वह धनवान खुश होकर कुछ ईनाम जरूर देगा। लेकिन वह धनवान भी महाकंजूस था, बोला, ‘‘तुम्हारी कविताएं सुनकर दिल खुश हो गया। तुम कल फिर आना, मैं तुम्हें खुश कर दूंगा।’
‘कल शायद अच्छा ईनाम मिलेगा।’ ऐसी कल्पना करता हुआ वह कवि घर पहुंचा और सो गया। अगले दिन वह फिर उस धनवान की हवेली में जा पहुंचा। धनवान बोला, ‘‘सुनो कवि महाशय, जैसे तुमने मुझे अपनी कविताएं सुनाकर खुश किया था, उसी तरह मैं भी तुमको बुलाकर खुश हूं। तुमने मुझे कल कुछ भी नहीं दिया, इसलिए मैं भी कुछ नहीं दे रहा, हिसाब बराबर हो गया।’’
कवि बेहद निराश हो गया। उसने अपनी आप बीती एक मित्र को कह सुनाई और उस मित्र ने बीरबल को बता दिया। सुनकर बीरबल बोला, ‘‘अब जैसा मैं कहता हूं, वैसा करो। तुम उस धनवान से मित्रता करके उसे खाने पर अपने घर बुलाओ। हां, अपने कवि मित्र को भी बुलाना मत भूलना। मैं तो खैर वहां मैंजूद रहूंगा ही।’’
कुछ दिनों बाद बीरबल की योजनानुसार कवि के मित्र के घर दोपहर को भोज का कार्यक्रम तय हो गया। नियत समय पर वह धनवान भी आ पहुंचा। उस समय बीरबल, कवि और कुछ अन्य मित्र बातचीत में मशगूल थे। समय गुजरता जा रहा था लेकिन खाने-पीने का कहीं कोई नामोनिशान न था। वे लोग पहले की तरह बातचीत में व्यस्त थे। धनवान की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, जब उससे रहा न गया तो बोल ही पड़ा, ‘‘भोजन का समय तो कब का हो चुका ? क्या हम यहां खाने पर नहीं आए हैं ?’’
‘खाना, कैसा खाना ? बीरबल ने पूछा।
धनवान को अब गुस्सा आ गया, “क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या तुमने मुझे यहां खाने पर नहीं बुलाया है” ?
‘खाने का कोई निमंत्रण नहीं था। यह तो आपको खुश करने के लिए खाने पर आने को कहा गया था।’’ जवाब बीरबल ने दिया।
धनवान का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया, क्रोधित स्वर में बोला, ‘‘यह सब क्या है? इस तरह किसी इज्जतदार आदमी को बेइज्जत करना ठीक है क्या ? तुमने मुझसे धोखा किया है।’
अब बीरबल हंसता हुआ बोला, ‘‘यदि मैं कहूं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं तो…। तुमने इस कवि से यही कहकर धोखा किया था ना कि कल आना, सो मैंने भी कुछ ऐसा ही किया। तुम जैसे लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए।’’
धनवान को अब अपनी गलती का आभास हुआ और उसने कवि को अच्छा ईनाम देकर वहां से विदा ली।
वहां मौजूद सभी बीरबल को प्रशंसाभरी नजरों से देखने लगे।
सवालों का सीधा-सीधा जवाब: अकबर बीरबल की कहानियां
एक दिन बीरबल बाग में टहलते हुए सुबह की ताजा हवा का आनंद ले रहा था कि अचानक एक आदमी उसके पास आकर बोला, ‘‘क्या तुम मुझे बता सकते हो कि बीरबल कहां मिलेगा ?’’
बीरबल बोला:- ‘‘बाग में’’।
वह आदमी थोड़ा सकपकाया लेकिन फिर संभलकर बोला:- ‘‘वह कहां रहता है ?’’
बीरबल ने उत्तर दिया- “अपने घर में”।
हैरान-परेशान आदमी ने फिर पूछा:-‘‘तुम मुझे उसका पूरा पता ठिकाना क्यों नहीं बता देते ?’’
बीरबल ने ऊंचे स्वर में कहा:- “क्योंकि तुमने पूछा ही नहीं।’’
उस आदमी ने फिर सवाल किया:- ‘क्या तुम नहीं जानते कि मैं क्या पूछना चाहता हूं ?’’
बीरबल का जवाब था:- ‘‘नहीं मै नहीं जनता।’’
वह आदमी कुछ देर के लिए चुप हो गया, बीरबल का टहलना जारी था।
उस आदमी ने सोचा कि मुझे इससे यह पूछना चाहिए कि क्या तुम बीरबल को जानते हो ?वह फिर बीरबल के पास जा पहुंचा, बोला, ‘‘बस, मुझे केवल इतना बता दो कि क्या तुम बीरबल को जानते हो ?’’
आदमी को जवाब मिला:- ‘हां, मैं जानता हूं।’’
आदमी ने फिर पूछा:- ‘तुम्हारा क्या नाम है ?’’
बीरबल ने उत्तर दिया:- मेरा नाम ‘बीरबल।’’
अब वह आदमी भौचक्का रह गया। वह बीरबल से इतनी देर से बीरबल का पता पूछ रहा था और वहीं बीरबल था जो कि बताने को तैयार नहीं हुआ कि वही बीरबल है। उसके लिए यह बेहद आश्चर्य की बात थी।
आदमी ने कहा बीरबल से:- ‘तुम भी क्या आदमी हो…’’ कहता हुआ वह कुछ नाराज सा लग रहा था, ‘‘मैं तुमसे तुम्हारे ही बारे में पूछ रहा था और तुम न जाने क्या-क्या ऊटपटांग बता रहे थे। बताओ, तुमने ऐसा क्यों किया ?’’
बीरबल ने कहा:-‘मैंने तुम्हारे सवालों का सीधा-सीधा जवाब दिया था, बस !’’
अंततः वह आदमी भी बीरबल की बुद्धि की तीक्ष्णता देख मुस्कराए बिना न रह सका।